Saturday 2 March 2024

एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता

चित्र साभार गूगल 


एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता


सफ़र में धुंध सा बादल, कभी शजर आता

इसी से चाँद मुक़म्मल नहीं नज़र आता


बताता हाल मैं दरियाओं के परिंदो का

मुझे भी नाव चलाने का कुछ हुनर आता


शहर में खिड़कियाँ, पर्दे हैं आसमान कहाँ

हमारे गाँव में सूरज सुबह ही घर आता


तमाम रेत है, दरिया न पेड़ का साया

हमारी राह में कैसे कोई बशर आता


मकान रिश्ते भी पुरखों के बाँट डाले गए

खिलौना देख के बच्चा नहीं इधर आता


कवि /शायर

जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 


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Sunday 25 February 2024

एक गीत -जंगल कुछ दिन मौन रहेगा

चित्र साभार गूगल 



एक गीत -इस चिड़िया के उड़ जाने पर


इस चिड़िया के
उड़ जाने पर
जंगल कुछ दिन मौन रहेगा.
धूप -छाँह, बारिश
मौसम के
इतने किस्से कौन कहेगा.

दरपन -दरपन
चोंच मारती
ढके हुए परदे उघारकर,
सूर्योदय से
प्रमुदित होकर
हमें जगाती है पुकारकर,
धूल भरी आँधी में
टहनी टहनी
उड़कर कौन दहेगा.

इसी नदी में
हँसकर -धंसकर
हमने उसे नहाते देखा,
आँख मूँदकर
मंत्र बोलकर
घी का दिया जलाते देखा,
खुले हुए
जूड़े से गिरकर कब 
तक जल में फूल बहेगा.

हिरण भागते
मोर नाचते
वन का है चलचित्र सुहाना,
पथिकों से मत
मोह लगाना
जीवन यात्रा आना -जाना,
प्यार तुम्हारे
हिस्से में था
बिछुड़न प्यारे कौन सहेगा.

कवि गीतकार
जयकृष्ण राय तुषार 
चित्र साभार गूगल 

Thursday 22 February 2024

एक होली गीत -रंग वो क्या जो छूट गया

चित्र साभार गूगल 


एक होली गीत -रंग वो क्या जो छूट गया


रंग वो क्या जो छूट गया
फिर क्या होली के माने जी.
असली रंग मिले वृंदावन
या गोकुल, बरसाने जी.

मन तो रंगे किशोरी जू से
लोकरंग से नश्वर काया,
श्याम रंग की चमक है असली
बाकी सब है उसकी माया,
यमुना में भी रंग उसी का
आओ चलें नहाने जी.

इत्र, ग़ुलाल, फूल टेसू के
निधि वन, गोकुल गलियों में
देव, सखी बनकर आते हैं
महारास, रंगरलियों में,
स्याम से मिलने चलीं गोपियाँ
सौ सौ नए बहाने जी.

कोई ब्रज रज, कोई लट्ठ मारती
कोई रंग, यमुना जल से,
कोई सम्मुख पिचकारी लेके
कोई रंग फेंके छल से,
सूरदास, हरिदास समझते
नन्द नंदन के माने जी.

कवि गीतकार
जयकृष्ण राय तुषार
बरसाने की लट्ठमार होली चित्र साभार गूगल 


Wednesday 21 February 2024

एक गीत -हर पथ में पावन राग लिए

माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी 


एक गीत -बजता सुन्दर इकतारा है


शिव भक्त राम का सेवक है
वह संतों का रखवाला है.
दुनिया उसकी जय बोल रही
इस युग का मुरलीवाला है.

काशी, उज्जयिनी, महाकाल
सबकी आभा लौटाता है,
रघु कुल की प्राण प्रतिष्ठा से
भी उसका गहरा नाता है,
दुनिया का तम हर लेता है
सूरज की ऐसी ज्वाला है.

सम्मान सभी को देता है
सबके मस्तक का चंदन है,
भारत की सुप्त धमनियों में
वह लोहू का स्पंदन है,
षड़यंत्र न उसको तोड़ सके
ऐसे मनकों की माला है.

सबका साथ विकास सभी का
उसका पावन नारा है,
तूफ़ान कठिन कितना भी हो
वह मांझी कभी न हारा है,
संतुलन विश्व का साधे है
वह नीलगगन का तारा है.

जिसमें भारत की संस्कृति हो
उस देशगान को सुनना है,
भारत माता के मंदिर का
बस उसे पुजारी चुनना है,
हर पथ में पावन राग लिए
बजता सुन्दर इकतारा है.

कवि /गीतकार
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल 


Monday 12 February 2024

एक ग़ज़ल -मौसम रातरानी हो गया

चित्र साभार गूगल 

स्मृतिशेष कथा लेखिका उषाकिरण खां 


इस ग़ज़ल के मतले का शेर कथा लेखिका उषाकिरण खां को समर्पित है

एक ग़ज़ल -मैंने दिल से कुछ कहा 

भाप में तब्दील इक दरिया का पानी हो गया
एक किस्सागो शहर का ख़ुद कहानी हो गया

खुशबुओं की शाल ओढ़े आ गया छत पर ये कौन 
चाँद निकला और मौसम रातरानी हो गया

इक खड़ाऊं रखके भी सारी अयोध्या थी ग़रीब
राम जब लौटे  नगर फिर राजधानी हो गया

राग, बंदिश, ताल, सुर, लय का पता कुछ भी न था 
मिल गयी महफ़िल तो गायक खानदानी हो गया

मन के सारे रंग भी फूलों से फागुन में खिले
बाग का मंज़र गुलाबी, पीला, धानी हो गया

मांगकर छल से भिखारी देवता भी बन गए
देने वाला कर्ण जैसा वीर दानी हो गया

इस सियासत को समझने का सलीका और है
मैंने दिल से कुछ कहा कुछ और मानी हो गया

कवि /शायर
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल 


Saturday 10 February 2024

एक ग़ज़ल -सबको प्रेम कहाँ हासिल हो पाता है


चित्र साभार गूगल 


एक ग़ज़ल -सबको प्रेम कहाँ हासिल हो पाता है 

जंगल पर कब्जा है लकड़ी चोरों का
ज़ुर्म अकेले कहाँ है आदमखोरों का

सावन में भी कहाँ घटाएँ निकली थीं
नृत्य मयूरी देखे कैसे मोरों का

वर्षो की साधना,नहीं आलाप मधुर
अब संगीत समागम केवल शोरों का 


जो उड़ान पर उसे गिराने की साजिश
दोष नहीं उड़ती पतंग की डोरों का

फल वाले  पेड़ों पर सारे पंछी हैं 
कोई देता साथ कहाँ कमजोरों का 


सबको प्रेम कहाँ हासिल हो पाता है
किस्सा पढ़कर देखो चाँद -चकोरों का

थैले में सामान फ्लैट में आता है
गया ज़माना क्विंटल वाले बोरों का

आज़ादी है संविधान की शोहरत है
दिल दिमाग़ पर कब्जा अब भी गोरों का 


कवि /शायर
जयकृष्ण राय तुषार
चित्र साभार गूगल 



Friday 9 February 2024

एक ग़ज़ल -तबीयत से यहाँ गंगा नहाकर देखिए साहब

संगम शाही स्नान चित्र साभार गूगल 


आज मौनी अमावस्या का पावन स्नान पर्व है सभी कल्पवासियों, स्नानर्थियों को शुभकामनायें.माँ गंगा, यमुना, सरस्वती सबका कल्याण करें.


एक पुरानी ग़ज़ल


फक़ीरों की तरह धूनी रमाकर देखिए साहब

तबीयत से यहाँ गंगा नहाकर देखिए साहब


यहाँ पर जो सुंकू है वो कहाँ है भव्य महलों में

ये संगम है यहाँ तम्बू लगाकर देखिए साहब


हथेली पर उतर आयेंगे ये संगम की लहरों से

मोहब्बत से परिंदो को बुलाकर देखिए साहब


ये गंगा फिर बहेगी तोड़कर मजबूत चट्टानें

जो कचरा आपने फेंका हटाकर देखिए साहब


कवि /शायर

जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 


Saturday 3 February 2024

एक गीत -मन की खुशबू कहाँ पुरानी होती है

चित्र साभार गूगल 


एक गीत -मन की खुशबू कहाँ पुरानी होती है 

मन की

खुशबू कहाँ

पुरानी होती है.

चित्रों की

भी प्रेम -

कहानी होती है.


फूल नहीं

देखा

खुशबू पहचान गया,

भौँरा

जंगल, बस्ती

सबको जान गया,

फागुन की

हर शाम 

सुहानी होती है.


वंशी की

आवाज़

नदी की लहरों में,

अक्सर

चाँद रहा

मेघोँ के पहरों में,

आँखों की

भी बोली

बानी होती है.


पहली-

पहली भेंट 

युगों के किस्से हैं '

धूप -छाँह

सुख दुःख

जीवन के हिस्से हैं,

किस्मत वाली

बिटिया

रानी होती है.


कवि /गीतकार

 जयकृष्ण राय तुषार

चित्र साभार गूगल 


Tuesday 23 January 2024

एक ग़ज़ल -रामलला की मूर्ति मनोहर अप्रतिम है

प्रभु श्रीराम अयोध्या 


एक ग़ज़ल -

राष्ट्र धर्म फ़रवरी अंक में
प्रकाशित 


दौलत, शोहरत, ओहदा सब बेकार गया

जिसकी किस्मत वही राम दरबार गया


इफ़्तारी में शामिल हिन्दू घर बैठे

राम के दर पर असली रोज़ेदार गया


ईश्वर कैसे मिलता जीवन यात्रा में

सैलानी बनकर बद्री -केदार गया


रामलला की मूर्ति मनोहर, अप्रतिम है

इसे देखने प्रभु का हर अवतार गया 


धर्म, राष्ट्र को किया प्रतिष्ठित सम्मानित

जिस नगरी में अपना चौकीदार गया


रामकाज में जो शहीद हैं कोटि नमन

उन्हें निमंत्रण बिना तार उस पार गया 


सरयू के तट पर हर मत हर फिरक़ा था

कुछ लोगों के नफ़रत का बाज़ार गया


कवि /शायर

जयकृष्ण राय तुषार

अयोध्या प्रभु श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा 

Monday 22 January 2024

एक गीत -प्रभु श्रीराम

प्रभु श्रीराम 


जय श्रीराम

आज विश्व का सर्वश्रेष्ठ दिन है जब मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की नवनिर्मित दिव्य भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा होगी. राम विश्व का मंगल करेंगे. यह मंदिर सनातन धर्म के लिए गौरव का विषय तो है इसमें सर्वधर्म की झलक भी है. समाज के हर वर्ग का अतुलनीय योगदान है. देश के यशस्वी प्रधानमंत्री जी को भी बहुत बहुत बधाई जो एक अपराजेय योद्धा हैं. माननीय मुख्यमंत्री जी समस्त संत समाज को भी बधाई और शुभकामनायें.
आप सभी का दिन राममय हो. शुभ हो.

एक गीत -शुभ धन्य आज की भोर

शुभ, धन्य आज की भोर
धन्य भारत वासी.
हो गए राममय संत, मनुज
सरयू तट वासी.

जल उठे करोड़ों दीप
स्वागतम सियाराम का,
जग साक्षी है इस प्राण -
प्रतिष्ठा पुण्य धाम का,
लौटा विजयी मुद्रा में
फिर से वनवासी.

सब धर्म, पंथ कर रहे
राम का अभिनंदन,
यह भूमि अलौकिक है
इसमें खुशबू चन्दन,
सरयू माँ का सुख
देख रही शबरी दासी.

प्रभु राम हमारी संस्कृति
के रक्षक नायक,
कण -कण समाज से प्रेम
उन्हें, सबके सुखदायक,
दर्शन को आतुर गृहस्थ
वैष्णव सन्यासी.

हे कमल नयन हर घर
शुभ मंगल गान रहे,
बस लिखूँ आपकी महिमा
जब तक प्रान रहे,
है धन्य अवध की शाम
सुबह की काशी.

गीतकार -
जयकृष्ण राय तुषार

श्रीराम 


एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता

चित्र साभार गूगल  एक ग़ज़ल -इसी से चाँद मुक़म्मल नज़र नहीं आता सफ़र में धुंध सा बादल, कभी शजर आता इसी से चाँद मुक़म्मल नहीं नज़र आता बताता हाल मैं ...