Tuesday 23 February 2010

एक गज़ल -तबीयत से यहाँ गंगा नहाकर देखिए साहब

चित्र -गूगल से साभार 
तबीयत से यहां गंगा नहाकर देखिए साहब
फकीरों की तरह धूनी रमाकर देखिए साहब
तबीयत से यहां गंगा नहाकर देखिए साहब

यहां पर जो सुकूं है वो कहां है भव्य महलों में
ये संगम है यहां तम्बू लगाकर देखिये साहब

हथेली पर उतर आयेंगे ये संगम की लहरों से
परिन्दों को मोहब्बत से बुलाकर देखिए साहब

ये गंगा फिर बहेगी तोड़कर मजबूत चट्‌टानें
जो कचरा आपने फेंका हटाकर देखिये साहब

2 comments:

  1. exelent poem over lifesaver rivers GANGA and YAMUNA as well as upon water pollution also. come on we all take oath to save our lifestring MAA GANGA.

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